Tuesday, January 18, 2011

मौत तू एक कविता है...

मौत तू एक कविता है...
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको|

डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे,
जर्द सा चेहरा लिए, चाँद उफक तक पहुँचे...
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब,
ना अभी अंधेरा हो, ना उजाला हो, ना रात ना दिन|
जिस्म जब ख़त्म हो, और रूह को साँस आए...

मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको...

-- गुलज़ार

Tuesday, March 9, 2010

शायरी - तुम और मैं

तेरी आँखों ने हमें पीना भुला दिया,
तेरी जुदाई ने फिर से पीना सीखा दिया|

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तेरी आँखों के सिवा मै ही एक सहारा है,
तेरे जाने के बाद इसी पर दिन गुज़ारा है|

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तेरे जाने के बाद ये राज़ हमने जाना,
क्यूँ नहीं है, तेरा और मै का याराना|
मै तेरी सौतन है, यह आज हमने जाना,
सदियों से दोहराता रहा जो बात ये ज़माना|

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Friday, February 5, 2010

तुमसे दूर होके

मोहब्बत कितनी है तुमसे, कभी दिखा नही पाए,
जब दूर हुए तुमसे, तो छुपा नहीं पाए|
सोचा था रह सकते हैं तुम्हारे बिन भी हम,
लेकिन जब दूर हुए तो हमारी आँखें हुई नम|

सब कुछ तो है, तुम्हारे बगैर भी जीने में,
फिर क्यूँ लगता है की साँस कम हो गयी है सीने में|
जिस कंधे पर सर रखकर सारे गम भूल जाऊं,
मखमल की बिस्तर से प्यारी वो गोद कहाँ से लाऊँ|

तेरी दीदार को अब मेरी आँखें तरस गयीं,
बिन सावन, आँखों से घटा बरस गयी|
अब हर पल रहती है बस तेरे दीदार की ललक,
पर जानता हूँ कि नहीं पा सकता, तेरी एक भी झलक|

पी कर भुलाना चाहता हूँ गम-ए-तन्हाई,
पर आग से आग कब है बुझ पाई?
तेरे बिन ज़िंदगी अब हो गयी है सूनी,
अब आजा कि बहुत लंबी होने लगी है ये जुदाई|